गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास जी का अवतरण हुआ था। सनातन संस्कृति के अठारह पुराणों के रचयिता महर्षि वेदव्यास को माना जाता है। उन्होंने ने ही वेदों की रचना कर उनको अठारह भागों में विभक्त किया था। अस कारण उनका नाम वेद व्यास पड़ा था। महर्षि वेद व्यास को आदि गुरु भी कहा जाता है।
गुरु पूर्णिमा का पर्व आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के साथ आषाढ़ पूर्णिमा भी कहते हैं। इस साल गुरू पूर्णिमा का पर्व 5 जुलाई रविवार को है। इसी दिन चंद्र ग्रहण भी है। इस दिन भक्त अपने गुरु के सम्मान में कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे और उनको श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे। इस दिन बड़ी संख्या में लोग गुरु से दीक्षा भी ग्रहण करते हैं।
गुरु पूर्णिमा 2020: सनातन संस्कृति में गुरु का काफी महिमामंडन किया गया है। गुरु की कृपा से ज्ञान प्राप्त होता है और उनके आशीर्वाद से सभी सुख-सुविधाओॆ, बुद्धिबल और एश्वर्य की प्राप्ति होती है। इसलिए भारतवर्ष गुरु की दर्जा सबसे बड़ा माना गया है और उनको पूज्यनीय माना गया है। इसलिए गुरु के सम्मान में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है।
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