Story of a hard -worker Ant (एक मेहनती चींटी की कहानी)

                                   Story of a hard -worker Ant (एक मेहनती चींटी की कहानी) 

                                   


                                  एक चींटी थी। बहुत कर्मठ और खुशमिजाज। वह रोज काम पर जाती और मन लगा कर काम करती। उस रोज भी वह काम पर पहुंची। रोज की तरह उसने खूब काम किया। उसका प्रमुख एक शेर था। शेर ने सोचा कि यदि यह चींटी बिना किसी दिशानिर्देशक के इतना काम कर लेती है तो वह सुपरवाइजर के अधीन इससे भी अधिक उत्पादन देगी। लिहाजा, शेर ने एक कॉक्रोच को चींटी का सुपरवाइजर बना दिया। कॉक्रोच बहुत अच्छी कार्य रिपोर्ट लिखता था। कॉक्रोच ने सबसे पहले चींटी के कार्य को समयबद्ध किया। इसके लिए उसे एक सेक्रेटरी की जरूरत थी।

उसने एक मकौड़े को रिपोर्ट आदि लिखने और फोन अटैंड करने के लिए रखा। शेर यह सब देख कर बहुत खुश हुआ। उसने कॉक्रोच को प्रोडक्शन रेट्स तैयार करने को कहा, जिसे वह बोर्ड मीटिंग में दिखा सके। इसके लिए कॉक्रोच ने कई उपकरण खरीदे। एक मक्खी को आईटी विभाग की देखरेख के लिए रखा गया। इस सबसे चींटी को बहुत कोफ्त होने लगी। उसका कीमती वक्त कागज काले करने में बेकार जाने लगा। उधर शेर ने चींटी के विभाग का नया विभागाध्यक्ष भी नियुक्त किया। यह काम मिला एक पतंगे को, जिसने सबसे पहले अपने लिए ऑफिस बनवाया और असिस्टेंट रखे। अब वह विभाग जहां चींटी काम करती थी, एक बोझिल स्थान बन चुका था।

पतंगे ने शेर को बताया कि विभाग में कुछ फेरबदल जरूरी हो गई है। शेर ने आकलन करते हुए पाया कि उत्पादन पहले से कहीं गिर चुका है, इसलिए उसने एक उल्लू को ऑडिट करने के लिए रखा। उल्लू ने तीन माह बाद अपनी रिपोर्ट दी  कि डिपार्टमेंट ओवरस्टाफ्ड है। लिहाजा शेर ने सबसे पहले चींटी को निकाल दिया और उस पर इल्जाम लगाया कामचोरी का। कहानी बताती है कि एक कर्मठ कर्मचारी पर यदि बेवजह मानसिक बोझ लादा जाता है तो नतीजा हमेशा नकारात्मक रहता है।


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