Story of Sahori Amma in hindi (सहोरी अम्मा की कहानी हिंदी में )

                                 (Story of Sahori Amma in hindi) सहोरी अम्मा  की कहानी हिंदी में 

सहोरी एक वृद्व विधवा थी| संपत्ति के नाम पर उसके पास सोने के सौ मोहरे थी |जिंदगी के अंतिम पड़ाव में होने के कारण सहोरी अम्मा ने तीर्थयात्रा पर जाने का मन बनाया |सारी तैयारी करने के बाद उसने सोने की मोहरों को एक मजबूत थैली में बंद किया और उस पर लाख की मुहर लगा दी |
इसके बाद उसने वह थैली पड़ोस के एक महाजन के पास रख दी ,जाते समय उसने महाजन से कहा ,"बेटा ! यदि मैं लौट आई तो तुमसे ये थैली वापस ले लुंगी और बदले में तुम्हें  इसमें से दस मोहरें बतौर मेहनताना दे दूंगी  और यदि न लौटी तो समझो तुम्हारी ही हो गई |"
सहोरी अम्मा के जाने के बाद महाजन के मन लालच आ गया |उसने  सहोरी अम्मा की मोहरों  को हड़पने के लिए एक योजना बनाई और सारा काम निपटा लिया |
उधर तीर्थ यात्रा से वापस लौट कर सहोरी अम्मा ने जब महाजन से अपनी थैली मांगी तब उसने उसे थैली दे दी |सहोरी अम्मा ने जब  अपनी थैली पर अपनी मुहर देखी , वह सन्तुषी होने पर वह घर लौट आई |घर आने के सहोरी अम्मा ने सोचा की थैली में से दस मोहरें निकलाकर महाजन को दे दी जाये ,लेकिन उसने जब थैली खोली तब उसमे लोहे के सिक्के भरे  थे |सहोरी अम्मा दंग रह गई | वह दौड़ी-दौड़ी महाजन के पास गई ,किन्तु  महाजन साफ मुकर गया |उल्टा उसने थैली संभालने का के एवज में दस मोहरें मांग कर डाली |
सहोरी अम्मा समझ गई की महाजन ऐसे नहीं मानेगा ,इसलिए वह सीधे राजा के पास गई और महाजन के पारी शिकायत  कर दी |
राजा ने महाजन को दरबार में बुलाया और पूछा ,"सहोरी अम्मा ने तुम पर जो आरोप लगाया है उसके बारे में तुम क्या कहना चाहते हो महाजन ?"
"महाराज !मुझे नहीं पता की थैली अंदर क्या था ?,सहोरी अम्मा जैसी थैली मुझे दे गई थी वैसी ही मैंने लौटा दी | इसने तो मुझे थैली को संभालकर रखने का मेहताना भी नहीं दिया |"
दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद राजा ने वह थैली गौर से देखी ,बहुत ही बारीकी से से देखने पर पता चला की थैली नीचे से काट कर  किसी कुशल रफूगर से रफू कर दी गई है |
राजा ने दोनों को दो दिन के बाद आने को कहा | दोनों को जाने के बाद राजा ने शहर के सभी बेहतरीन रफ़ूगरों को महल बुलवाया |
पूछताछ करने के बाद एक रफूगर ने थैली देख कर पहचान गया की वो उसने ही किया था |राजा ने चोरी पकड़ ली थी |दो दिन बाद जब दोनों दरबार में हाजिर हुए तब राजा ने सहोरी अम्मा के पक्ष में फैसला सुनाया तब महाजन ने बिरोध करने लगा तब राजा ने रफूगर सामने कर दिया ,रफूगर को देखते ही महाजन सबकुछ समझ गया की मेरी चोरी पकड़ी गई ,तब उसने अपनी अपराध स्वीकार कर लिया |
महाजन ने सहोरी अम्मा का सारा मोहरें लौटा दी |महाजन  बहुत बार माफ़ी मांगने के बाद सहोरी अम्मा द्वारा माफ़ करने बाद राजा ने कड़ी चेतावनी  देकर कर छोड़ दिया |  
इससे हमें क्या सिख मिली :-
झूठ के पांव नहीं होते ,इसलिए वह देर तक छिपा नहीं रह पाता |चाहे एक झूठ को सच साबित करने के लिए  सौ झूठ और क्यों न बोले जाये ,हकीकत आखिरकार  जाहिर होइ जाती है |फिर भला महाजन का झूठ क्यों न पकड़ा जाता | 

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