The caretaker (रखवाला )

                                  The caretaker (रखवाला )

"ओ छोरे ठीक से काम कर वर्ना निकाल दूंगा नौकरी से। आलसी कहीं का जल्दी जल्दी हाथ चला कर मेजे साफ़ कर फिर बर्तन भी धो पोंछ कर लगा सारे।" रोज डयूटी पर आते ही लाला की यही आवाज़ बारह वर्ष के कांशी के कानों को चीरती और बेचारा भूखा बच्चा जल्दी जल्दी काम निपटाने लगता।

कांशी का बाप कच्ची शराब पी कर दो साल पहले संसार से विदा हो गया था। काशी की माँ, चार बच्चों के साथ दुनिया में बेसहारा रह गई। कांशी ने लाला के होटल में काम पकड़ लिया और माँ ने घरों में चौके बर्तन का काम शुरू कर दिया। वैसे तो कांशी का बाप एक फैक्टरी में काम करता था और अच्छे खासे गुजारे लायक पैसा कमा लेता था पर शराब की बुरी आदत के कारण मौत का शिकार हो गया।

लाला खास अच्छा आदमी नहीं था फिर भी कांशी को दो चार रुपये पगार से ज़्यादा दे ही देता था। तीन छोटी बहनें घर पर रहती थी। स्कूल भी नहीं जा पाती थीं। जैसे तैसे गुजारा कर रहा था कांशी का परिवार। 

कांशी के हाथ से भारी पेटी गिर पड़ी और लाला ने जो  कांच के नए बर्तन मंगाए थे चकना चूर हो गए। छोटा सा बच्चा सीढ़ी पर चढ़ रहा था पेटी लेकर ये उम्र थी क्या इतना वज़न उठाने की। पैर फिसल गया और धड़ाम से गिर पड़ा वो तो भगवान का शुक्र है कि पैर नहीं टूटा।

लाला का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया। ख़ूब गरजा और कांशी को काम से निकाल दिया। रोने और गिड़गिड़ाने का उस पर कोई असर नहीं पड़ा। लाल जो डेढ़ हजार देता था वह भी गए और नौकरी भी। 

चार दिन बाद कांशी फिर से लाला के पास आया और माफ़ी मांगते हुए नौकरी फिर से मांगी। लाला जानता था कि कांशी की एक बहन कांशी से साल भर छोटी ही है।

लाला ने शर्त रखी कि कल से दोनों भाई बहन आ जाना काम पर अकेले तेरे से हो नहीं पाते बर्तन सफाई। 

कांशी लाला को जानता था सारा दिन लाला मोबाइल पर बुरी बुरी वीडियो देखता रहता था। कांशी को न जाने क्यों लाला की इस दरियादिल पर शक हो आया और वो वापस घर चला गया। लाला ने उसे बेशक ठगने की सोंची हो पर वह अपने भाई के फर्ज को नहीं ठग सकता। पिता के जाने के बाद वही तो अपनी परिवार का रखवाला है।

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