Dreams(सपने)

                                           Dreams(सपने)

 सुना है सपने बेरंग होते है काले और सफ़ेद ,,

पर ज़िंदगी में रंग भरने के लिए सब देखते है अतरंगी और सतरंगी सपने ,,

कुछ खुली आँखों से , कुछ खुली आँखों से ,, कुछ बंद आँखों से !

कुछ रह जाते है अधूरे ,तो कुछ हो जाते है पुरे ,,

सपने कभी पकड़ में नहीं आते ,

जो पकडने की कोसीस करो तो पानी की बुल -बुले की तरह छूट जाते ,,

और जब भरने की कोसिस करो तो रेत् की तरह फिसल जाते ,,

दिल करता है इन सपनो को करिने से लगा दू ,

एक पूरा होता नहीं की दूसरा आ धमकता ,

एक दम उस ढींठ बच्चे की तरह जिद पकड़ बैठ जाता,,

मन करता है उठक बैठक करा दू ,,

बिना इज़ाज़त आने की सजा दू !

जो लेट कर कल देखें थे हमने सपने ,

आज सुबह उठ कर पूरा करने में जुट जाते !!

और सच तो यह है की जो अपने सपने पुरे न कर पाते ,,

थोप देते है अपने बच्चो के ऊपर ,,

और सच तो यह है की सपने कभी बेरंग नहीं होते ,,

सपने वो बेरंग होते है जो छीन लेते है हम किसी और क आँखों से और कर देते है ,

उनके सपने बेरंग बदरंग !!

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