Importance of Saraswati Puja (सरस्वती पूजा का महत्व)

                                                       सरस्वती पूजा का महत्व



कहा जाता है कि माघ शुक्ल पंचमी के दिन ही सरस्वती माता प्रकट हुई थीं, इसलिए इस तिथि को हर वर्ष सरस्वती पूजा मनाई जाती है। इस दिन लोग अपने बच्चों की शिक्षा प्रारंभ कराते हैं, अक्षर ज्ञान कराते हैं। यह दिन संगीत, कला आदि के ज्ञान अर्जन का शुभारंभ करने के लिए भी उत्तम होता है। ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन सरस्वती पूजा करने से देवी प्रसन्न होती हैं और भक्तों को ज्ञान, संगीत, कला आदि में निपुण होने का आशीष देती हैं।


सरस्वती पूजा 2021 का मुहूर्त

इस वर्ष वसंत पंचमी के दिन आज सरस्वती पूजा 16 फरवरी को सुबह 06:59 बजे से दोपहर 12:35 बजे तक कर सकते हैं। इस दिन आपको पूजा के लिए कुल 05 घंटे 37 मिनट का समय मिल रहा है। ऐसे में आपको इस दिन स्नान आदि से निवृत होकर सफेद या पीले वस्त्र पहनकर विधि विधान से सरस्वती पूजा करनी चाहिए।

मां सरस्‍वती की पूजा करते हुए ये श्‍लोक जरूर पढ़ें-

या कुन्देन्दु-तुषारहार-धवला या शुभ्र-वस्त्रावृता

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।

या ब्रह्माच्युत शंकर-प्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता

सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

क्‍या करें इस दिन
इस दिन सुबह स्नान के बाद पीले कपड़े पहनकर मां सरस्वती की पूजा करें. नवग्रह की पूजा करें. केसर वाली खीर जरूर बनाएं. इसका भोग मां को लगाएं. इससे भाग्योदय होगा|

क्‍यों की जाती है सरस्‍वती पूजा

इस दिन देवी सरस्वती की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि सृष्टि की रचना के बाद सरस्वती देवी ने सभी को वाणी दी थी. ऐसा माना जाता है कि सृष्टि रचियता ब्रह्मा जी ने जीवों और मनुष्यों की रचना की थी, लेकिन इसके बाद भी वह ब्रह्मा जी से संतुष्ट नहीं थीं. क्योंकि पृथ्वी पर हर तरफ उदासी छाई थी.तब ब्रह्मा जी ने विष्णु भगवान की अनुमति लेकर अपने कमंडल से जल की कुछ बूंदे पृथ्वी पर छिड़की. ब्रह्मा जी के कमंडल से धरती पर गिरने वाली बूंदों से एक प्राकट्य हुआ. यह प्राकट्य चार भुजाओं वाली देवी सरस्वती का था. माता सरस्वती के एक हाथ में वीणा थी, दूसरा हाथ वर मुद्रा में था. इसके अलावा बाकी अन्य हाथों में पुस्तक और माला थी.



 

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