Jeevitputrika Vrat or Jitiya Vrat Katha, Pooja Method In Hindi( जीवित्पुत्रिका व्रत या जितिया व्रत कथा, पूजा विधि )
हमारे देश भारत में भक्ति एवम उपासना का एक रूप उपवास हैं जो मनुष्य में सैयम, त्याग, प्रेम एवम श्रध्दा की भावना को बढ़ाते हैं. उन्ही में से एक हैं जीवित्पुत्रिका व्रत. यह व्रत संतान की मंगल कामना के लिए किया जाता हैं. यह व्रत मातायें रखती हैं. जीवित्पुत्रिका व्रत निर्जला किया जाता हैं जिसमे पूरा दिन एवम रात पानी नही लिया जाता. इसे तीन दिन तक मनाया जाता हैं. संतान की सुरक्षा के लिए इस व्रत को सबसे अधिक महत्व दिया जाता हैं. पौराणिक समय से इसकी प्रथा चली आ रही हैं|
जीवित्पुत्रिका व्रत कब किया जाता हैं ?
हिन्दू पंचाग के अनुसार यह व्रत आश्विन माह कृष्ण पक्ष की सप्तमी से नवमी तक मनाया जाता हैं. इस निर्जला व्रत को विवाहित मातायें अपनी संतान की सुरक्षा के लिए करती हैं. खासतौर पर यह व्रत उत्तरप्रदेश, बिहार एवम नेपाल में मनाया जाता हैं:-
इस वर्ष 2020 में यह व्रत 10 सितम्बर, दिन शनिवार को मनाया जायेगा|
अष्टमी तिथि की शुरुवात 10 सितम्बर को सुबह 7:51
अष्टमी तिथि की खत्म 11 सितम्बर को सुबह 7:20
जीवित्पुत्रिका व्रत पूजा विधि :-
यह व्रत तीन दिन किया जाता है, तीनो दिन व्रत की विधि अलग-अलग होती हैं.
1.नहाई खाई :-
यह दिन (Nahai-khai) जीवित्पुत्रिका व्रत का पहला दिन कहलाता है, इस दिन से व्रत शुरू होता हैं. इस दिन महिलायें नहाने के बाद एक बार भोजन लेती हैं. फिर दिन भर कुछ नहीं खाती |
2.खुर जितिया :-
यह जीवित्पुत्रिका व्रत का दूसरा दिन (Khur Jitiya) होता हैं, इस दिन महिलायें निर्जला व्रत करती हैं. यह दिन विशेष होता हैं|
3.पारण :-
यह जीवित्पुत्रिका व्रत का अंतिम दिन (Paaran) होता हैं, इस दिन कई लोग बहुत सी चीज़े खाते हैं, लेकिन खासतौर पर इस दिन झोर भात, नोनी का साग एवम मडुआ की रोटी अथवा मरुवा की रोटी दिन के पहले भोजन में ली जाती हैं|
इस प्रकार जीवित्पुत्रिका व्रत का यह तीन दिवसीय उपवास किया जाता हैं. यह नेपाल एवम बिहार में बड़े चाव से किया जाता हैं|
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