तनाव क्या है ?
What is tension in Hindi ?
जब हम तनाव में होते है , तब हमारी भौहें चढ़ जातीं हैं। जब हम इस तरह त्योरी चढाते है , तब हमारे चेहरे की 72 नसें और माँस-पेश्यियाँ उपयोग में आते है । लेकिन जब हम मुस्कुराते है , तब उन में से केवल 4 का उपयोग होता है ।अधिक कार्य का अर्थ है अधिक तनाव। तनाव हमारी मुस्कान को भी गायब कर देता है। हमारी बॉडी लेंग्वेज हमारी मानसिक स्थिति और शारीरिक तंत्र की उर्जा का संकेत दे देती है।
हम एक उर्जा के बादल में संपुटित हैं, जिसे चेतना कहते हैं। ये एक मोम बत्ती और बाती जैसा है। जब हम मोम बत्ती पर माचिस की तीली लगाते है, तो बाती पर ज्योत प्रकट होती है।
मोम बत्ती में भी वही हाईड्रोकार्बन है। लेकिन जब उसे प्रज्वलित किया जाता है, तब ज्योति केवल उसकी चोटी पर टिमटिमाती है। इसी तरह हमारा शरीर मोम बत्ती की बाती की तरह है और इसके आसपास जो है वह चेतना है, जो हमें जीवित रखती है। तो हमें अपने मन और आत्मा का ध्यान रखना है।
हमारे अस्तित्व के 7 स्तर हैं - शरीर, श्वास, मन, बुद्धि, स्मृति, अहम् और आत्मा। मन तुम्हारी चेतना में विचार और अनुभूति की समझ है जो निरंतर बदलते रहते हैं। आत्मा हमारी अवस्था और अस्तित्व का सूक्ष्मतम पहलू है। और मन और शरीर को जो जोडती है वह हमारी साँस है।
सब कुछ बदलता रहता है, हमारा शरीर बदलाव से गुज़रता है, वैसे ही मन, बुद्धि, समझ, धारणाएँ, स्मृति, अहम् भी। लेकिन ऐसा कुछ है हमारे भीतर जो नहीं बदलता। और उसे आत्मा कहते हैं, जो कि सब बदलावों का सन्दर्भ बिंदु है। जब तक हम इस सूक्ष्मतम पहलू से नाता नहीं जोड़ेंगे , आयुर्वेद की प्राचीन पद्धति के अनुसार हम एक स्वस्थ व्यक्ति नहीं माने जाएगे ।
स्वास्थ्य की दूसरी निशानी है, सचेतता, सतर्क और जागरूक रहना। मन की 2 स्थितियां होतीं हैं। एक तो शरीर और मन साथ में। और दूसरा शरीर और मन भिन्न दिशाओं की ओर देखते हुए। कभी जब हम तनाव में रहते , तब भी हम सतर्क रहते है , परन्तु ये ठीक नहीं है। हमें सतर्क के साथ - साथ ही तनाव-मुक्त भी रहने चाहिए, इसी को ज्ञानोदय कहते हैं।
भावनात्मक अस्थिरता तनाव होने के कारणों में से एक है। हरेक भावना के लिए हमारी श्वास में एक विशेष लय है। धीमे और लंबे श्वास आनंद और उग्र श्वास तनाव का संकेत देते हैं। जिस तरह से एक शिशु श्वास लेता है वह एक वयस्क के श्वास लेने के तरीके से भिन्न है। यह तनाव ही है जो एक वयस्क की श्वसन पद्धति को भिन्न बनाती है।
हम अपना आधा स्वास्थ्य संपत्ति कमाने में खर्च कर देते हैं और फिर हम वह संपत्ति स्वास्थ्य को वापिस सुधारने में खर्च कर देते हैं। यह किफायती नहीं है। अगर कोई छोटी-मोटी असफलता आ जाए तो फ़िक्र मत करना, तो क्या हुआ? हरेक असफलता एक नई सफलता की ओर बड़ा कदम है। अपना उत्साह बढ़ाओ। अगर तुम में कुशलता है तो तुम किसी भी परिस्थिति में व्यंग को डाल कर उसे पूरी तरह से बदल सकते हो।
तनाव - युक्त होना टालो। पशु जब गीले हो जाते हैं या धुल में खेलते हैं, तो बाहर आ कर वे क्या करते हैं? वे अपना सारा शरीर झकझोरते हैं और अपने आप से सब कुछ बाहर निकाल फेंकते हैं। लेकिन हम मनुष्य सारा कुछ, सारा तनाव पकड़ के रखते हैं। किसी कुत्ते, पिल्ले या बिल्ली को देख कर हमें सब कुछ झकझोरना आना चाहिए। जब तुम ऑफिस में आते हो, तो घर को झकझोर दो। जब तुम घर वापिस जाओ, अपनी पीठ से ऑफिस को झकझोर दो।
तनाव से मुक्ति के उपाय |
Remedy for Stress in Hindi.
तनाव से मुक्त होने और हमारी उर्जा को पुनः प्राप्त करने के लिए, प्रकृति ने एक अन्तर्निहित व्यवस्था बनाई है, जो है निद्रा। किसी हद तक, निद्रा तुम्हारी थकान मिटाती है। लेकिन प्रायः शरीर प्रणाली में तनाव रह जाता है।उस प्रकार के तनावों को काबू में रखने के लिए प्राणायाम और ध्यान के तरीके हैं। ये तनाव और थकान से मुक्ति देते हैं, क्षमता बढ़ाते हैं, तुम्हारे तंत्रिका तंत्र और मन को मज़बूत बनाते हैं। ध्यान केन्द्रीकरण नहीं है। ये एक गहरा विश्राम है और जीवन को एक अधिक विशाल दृष्टि से देखना है, जिसके तीन स्वर्णिम नियम हैं - मुझे कुछ नहीं चाहिए, मैं कुछ नहीं करता हूँ और मैं कुछ नहीं हूँ।
प्रस्तुति : युगेश कुमार